...

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"इज़ाजत ए मोहब्बत"

दे इजाज़त गर तू थोड़ी सी मुझे,
दिल के आशियां में तेरी सूरत बसा लूं ।
आए जो अश्क तेरी आंखों में,
हिज्र की रात को जुम्मे की रात बना दूं।
है इल्तज़ा खुदा से मेरी बस इतनी,
नवाफ़ील मुझे वो तुझे ताउम्र कर दे।
हो तेरा हाथ मेरे हाथों में यूंही,
सारी जन्नत को मैं गुफ्तगू में शामिल कर दूं।
हो जाए कभी गुस्ताखी गर मुझसे,
सिर झुका कर तेरा सजदा कर लूं।
हो गर इजाज़त तेरे क़रीब रहने की,
तुझे पाने के लिए सारी कायनात एक कर दूं।
है ख्वाहिशें छुपी दिल के दरिया में,
तेरी यादों को मैं अपना साहिल बना लूं।

*नवाफील - उपहार
*गुफ्तगू - बातचीत
*हिज्र - जुदाई