क्या सच में बड़ी हो गई हूं मैं
कल तक थी मैं जैसी अब वैसी नहीं रही हूं मैं
समझना चाहो यदि तुम मुझे तो सुन लो बातें वो बहुत सी अनकही जो सिर्फ तन्हाइयों से कह रही हूं मैं
क्या सच में बड़ी हो गई हूं मैं
मुझ से शिकायतें तो करते हैं कई पर किसी से शिकायत करना मेरी आदत कहां
खुद ही से शिकवे हज़ार कर रही हूं मैं
मैं जिंदा हूं या नहीं जिन्हें इस बात से फर्क नहीं पड़ता
उन्हीं के बारे में सोच सोचकर मर रही हूं मैं
क्या सच में बड़ी हो गई हूं मैं
नहीं आती भूलकर भी जिन्हें...
समझना चाहो यदि तुम मुझे तो सुन लो बातें वो बहुत सी अनकही जो सिर्फ तन्हाइयों से कह रही हूं मैं
क्या सच में बड़ी हो गई हूं मैं
मुझ से शिकायतें तो करते हैं कई पर किसी से शिकायत करना मेरी आदत कहां
खुद ही से शिकवे हज़ार कर रही हूं मैं
मैं जिंदा हूं या नहीं जिन्हें इस बात से फर्क नहीं पड़ता
उन्हीं के बारे में सोच सोचकर मर रही हूं मैं
क्या सच में बड़ी हो गई हूं मैं
नहीं आती भूलकर भी जिन्हें...