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क्या सच में बड़ी हो गई हूं मैं
कल तक थी मैं जैसी अब वैसी नहीं रही हूं मैं
समझना चाहो यदि तुम मुझे तो सुन लो बातें वो बहुत सी अनकही जो सिर्फ तन्हाइयों से कह रही हूं मैं
क्या सच में बड़ी हो गई हूं मैं
मुझ से शिकायतें तो करते हैं कई पर किसी से शिकायत करना मेरी आदत कहां
खुद ही से शिकवे हज़ार कर रही हूं मैं
मैं जिंदा हूं या नहीं जिन्हें इस बात से फर्क नहीं पड़ता
उन्हीं के बारे में सोच सोचकर मर रही हूं मैं
क्या सच में बड़ी हो गई हूं मैं
नहीं आती भूलकर भी जिन्हें याद मेरी
उन्हीं से ना मिलने की फरियाद कर रही हूं मैं
बनती फिरती हूं मैं हमदर्द कईयों की मगर
कई देते हैं दर्द मुझे भी
क्या कभी अपनी भी हमदर्द बन सकी हूं मैं
क्या सच में बड़ी हो गई हूं मैं
जानते हुए भी नहीं मोहब्बत किसी की मेरे मुकद्दर में क्यूं हर बार प्यार की उम्मीद कर रही हूं मैं
जो खुश है किसी के झूठे प्यार सेउसी की सलामती के लिए क्यों दुआएं ईश्वर से कर रही हूं मैं
क्या सच में बड़ी हो गई हूं मैं
हालातों ने बदल दिए कुछ अंदाज हैं और वक्त ने बदले कुछ मिजाज़ हैं
इसीलिए लगता है तुम्हे शायद के नई हूं मैं पर अंदर से तो अब भी वही हूं मैं
कि टूटा है दिल और भरोसा भी मेरा
बस इसीलिए अपने बारे में बोलने से बच रही हूं मैं
क्या सच में बड़ी हो गई हूं मैं
© Hema j