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कोरोना
दूर देशसे आया एक बिनबुलाया महमान,
ना इसकी किसीसे जान पहचान,
पहले तो सबने हल्केमे ही लिया उसको,
पर फिर जनाबने दी अपनी असली पहचान।

नाम दिया उसको कोरोना,
सिखाया उसने की हाथ ना मिलाकर सिर्फ नमस्ते करोना,
लोगों को लोगों से दूर कर दिया,
जहा हो वही पे रहनेपर मजबूर कर दिया।

अमीरों के तो फिर भी हैं अच्छे हालचाल,
गरीब और मध्यमवर्गी लोग ही हुए हैं बेहाल,
कोई लगा हैं थोड़े से राशन की कतारमें,
तो कोई फसा हैं दूर किसी शहर तो कोई किसी गांवमें।

धर्मालयोंको भी बंद करवा दिया,
धर्मके नामपर अपनोंसे ही भिड़वा दिया,
भगवान बनकर लोगोकी सहायता में आये कुछ वीर,
पुलिस, डॉक्टर, नर्स व सफाईकर्मी खड़े हैं अपने देशवासी और कॉरोनाके बिच लेकर भला और तीर।

वो तो निभा रहे हैं अपना फर्ज़,
यहीं हैं आसानसा मौका घरमें ही रहो और चुकाओ अपने देश के प्रति अपना कर्ज़,
अगर रखोगे एकता तो जल्द ही ये मिट जायेगा,
वरना ये हमारे देश को मिट्टी में मिला जायेगा।