...

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ज़वाब (मेरे शब्दों में)
जब सही नहीं बोल तुम्हारी, फिर क्यों समझो खुद को संस्कारी।
झूठ बोल सच छुपाते हो ऐसे,तुम सा कोई न हो नेक जैसे।

सहारा ले माँ बाप का अपने,जाति को ऊँचा बतलाते हो,
कर्म को अपने आंका न कभी, दूसरों को गलत ठहराते हो।

मीठा ही सुनने के आदि ,कपटी...