वही हूँ मैं...
अब तो तुम और ज़माना जो समझे वही हूँ मैं,
मानते रहो ख़ुद से तुम दूर, पर खड़ी यहीं हूँ मैं।
वादा किया था तुमने मगर ख़ुद उसे निभाऊँगी,
तुम रहो महफ़िल में, सदा ही तो तन्हा रही हूँ मैं।
आदत है मुझे...
मानते रहो ख़ुद से तुम दूर, पर खड़ी यहीं हूँ मैं।
वादा किया था तुमने मगर ख़ुद उसे निभाऊँगी,
तुम रहो महफ़िल में, सदा ही तो तन्हा रही हूँ मैं।
आदत है मुझे...