...

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सबको बताना
मेरी आँखों के ख़्वाब तुमने देखे थे,
सब कुछ सामने था तुम्हारे..
मेरा टूटना-बिखरना भी तुमसे छुपा नहीं,
मेरा हर ख़ौफ़ भी सामने था तुम्हारे।

मेरी जो कभी कोई बुराई करे अगर,
या बातों ही बातों में जो मेरा ज़िक्र हो..

तो बताना मैं कमज़ोर बहुत थी,
तो बताना मेरी दुनिया सिमटी बहुत थी।
मगर ये भी बता देना..
मेरी फितरत में फ़रेब नहीं है,
जो छुपाना पड़े तुम्हें,
ऐसा मुझमें कोई ऐब नहीं है।।

ये भी कहना कि, मैं झूठे रिश्तों की गहराई से डरती थी,
मैं दिखती मज़बूत थी, लेकिन अपनी परछाई से डरती थी।
मगर इसके बाद मेरी बहादुरी भी बताना,
कितना भी डरी मगर भागी नहीं थी,
नींद नहीं थी मगर रातों को जागी नहीं थी।।

अगर मिले वक़्त तो सब शुरुआत से बताना,
मगर सच कहना, मुझे सिर्फ अच्छा मत जताना।
कहना तुमको मेरी आँखों में कभी ख़्वाब दिखा था,
मगर वो हर ख़्वाब मैंने पानी पर पानी से लिखा था।।

सुनो..
मेरी नाकामयाबी का तुम सबको हर एक किस्सा सुनाना,
मगर शर्त है कि, मेरी ज़िंदगी का हर एक हिस्सा सुनाना।।
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