है ना!
रात है सर्द दिसंबर की,शॉल तो तुमने ओढ़ी है ना!
जल चुके इस दिल के अंदर आग थोड़ी थोड़ी है ना!
देखा करती हो चांद को आज भी झीने झरोखे से
हाथ एक सीने पर रखकर दाई कोहनी मोड़ी है ना!
बरबस उठकर...
जल चुके इस दिल के अंदर आग थोड़ी थोड़ी है ना!
देखा करती हो चांद को आज भी झीने झरोखे से
हाथ एक सीने पर रखकर दाई कोहनी मोड़ी है ना!
बरबस उठकर...