...

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बेनाम ही रहने दो...
कुछ भी नाम ना दो इस रिश्ते को , बस कुछ एहसास से..
इस बेनाम रिश्ते को एक पाक रिश्ता ही रहने दो..!

तुम हो कहीं, मैं हूँ कहीं, और सात समुद्र पार
गुफ़्तुगू दो दिलों की , इस सिलसिले को यूँ ही चलने दो..!

ज़िंदगी की रफ़्तार मे हम भी है और तुम भी हो
जाने दो सबको आगे , कुछ लम्हों में खुद को खो जाने दो..!

कुछ पल याद आते हैं,और कुछ पल हर पल साथ रहते हैं
तुम ठहर जाओ उन पलों में और ख़ुदको मुझमें मौजूद रहने दो..!

बिखर जो जाऊँ कहीं , कुछ मचलती उमंगो के साथ
तुम समेट लेना आ कर, एक ऐसा उम्मीदों से भरा आस तो दो..!

उम्र भर ना सही, एक उम्र भी ना सही
पर कुछ लम्हों से एक लम्हा लाकर उस लम्हें को एक ज़िंदगी तो दो ..!

जयश्री ✍🏻