कब तक, आखिर कब तक?
कभी-कभी सोचती हूं कि क्या आज भी भारत इतना पिछड़ा हुआ है?
क्यों आजादी सिर्फ कहने को है क्योंकि हर कोई किसी ना किसी मजबूरी में जकड़ा हुआ है?
क्यों मां-बाप नाम के पीछे बच्चों को न्योछावर करने के लिए तैयार हैं?
क्यों आज भी जातीवाद एक बहुत बड़ा मसला है?
क्यों महिलाएं अपने ही घर में सुरक्षित नहीं हैं?
क्यों पति...
क्यों आजादी सिर्फ कहने को है क्योंकि हर कोई किसी ना किसी मजबूरी में जकड़ा हुआ है?
क्यों मां-बाप नाम के पीछे बच्चों को न्योछावर करने के लिए तैयार हैं?
क्यों आज भी जातीवाद एक बहुत बड़ा मसला है?
क्यों महिलाएं अपने ही घर में सुरक्षित नहीं हैं?
क्यों पति...