मजबूरी
#मजबूरी
झूठ नहीं मजबूरी है,
तुम जानों क्या क्या ज़रूरी है;
नंगे बदन की भी अपनी धुरी है,
तुम क्या जानो क्या मजबूरी है।
हम ना बोलें फिर भी तुम समझ
सको, क्यों ऐसा ना होना कैसे
कोई मजबूरी है।
तुम मुझसे झूठा...
झूठ नहीं मजबूरी है,
तुम जानों क्या क्या ज़रूरी है;
नंगे बदन की भी अपनी धुरी है,
तुम क्या जानो क्या मजबूरी है।
हम ना बोलें फिर भी तुम समझ
सको, क्यों ऐसा ना होना कैसे
कोई मजबूरी है।
तुम मुझसे झूठा...