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इंतज़ार
सुबह की किरणे भी विचलित करती है मुझे
जाने क्यों मुझे शाम का इंतजार होता है
कबूल होगी मेरी दुआ या नहीं तेरे दर पे
फ़िर भी तेरा ऐ खुदा, इस्तकबाल होता हे
इस बात का मुझे हां, इल्म ही नहीं
कि ये नाचीज दिल किस बात पे बेवजह रोता है
सुबह की किरणे विचलित करती हैं मुझे…
दिल के दरम्या सुकूं है ही नहीं
दरबदर तलाश है इसकी मुझे ऐ गालिब
कि दरक्तों पर पत्ते अब नहीं उगते
सुकून की नींद को कमबख्त दिल अब रोता है
सुबह की किरणे भी विचलित करती है मुझे
जाने क्यों मुझे शाम का इंतजार होता है...
© All Rights Reserved
जाने क्यों मुझे शाम का इंतजार होता है
कबूल होगी मेरी दुआ या नहीं तेरे दर पे
फ़िर भी तेरा ऐ खुदा, इस्तकबाल होता हे
इस बात का मुझे हां, इल्म ही नहीं
कि ये नाचीज दिल किस बात पे बेवजह रोता है
सुबह की किरणे विचलित करती हैं मुझे…
दिल के दरम्या सुकूं है ही नहीं
दरबदर तलाश है इसकी मुझे ऐ गालिब
कि दरक्तों पर पत्ते अब नहीं उगते
सुकून की नींद को कमबख्त दिल अब रोता है
सुबह की किरणे भी विचलित करती है मुझे
जाने क्यों मुझे शाम का इंतजार होता है...
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