पैसा
चन्द अशआर ~
ये सूरज भी सहम कर बोलता है।
ये चंदा मुस्कुराकर बोलता है।
ज़रा पैसे की ताक़त को समझ लो,
ज़माना तुमसे झुककर बोलता है।
है पैसा तो सभी रितुऐं तुम्हारी,
कोई मौसम हो डर कर बोलता है।
पखारे चरण सागर भी तुम्हारे,
कि पर्वत भी पिघलकर बोलता है।
तुझे हक़ है किसी को कुछ भी कह दे,
कहाँ कोई पलटकर बोलता है।
© इन्दु
ये सूरज भी सहम कर बोलता है।
ये चंदा मुस्कुराकर बोलता है।
ज़रा पैसे की ताक़त को समझ लो,
ज़माना तुमसे झुककर बोलता है।
है पैसा तो सभी रितुऐं तुम्हारी,
कोई मौसम हो डर कर बोलता है।
पखारे चरण सागर भी तुम्हारे,
कि पर्वत भी पिघलकर बोलता है।
तुझे हक़ है किसी को कुछ भी कह दे,
कहाँ कोई पलटकर बोलता है।
© इन्दु
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