...

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दिल आहिस्ता चल
दिल आहिस्ता चल..
दिल आहिस्ता चल..
कोई लख्त-ए-जिगर सर नज़र कर रहा..
कुछ तो है जो सफर में असर कर रहा..
नूर आकर टिका है वहाँ ताक पर..
कोई है चाँद को मुख़्तसर कर रहा..
ज़ुल्फ़ से छन रहा आफताब-ओ-अज़ल..
चाँद करने लगा है किसी पर ग़ज़ल..
लफ्ज़ गिरने लगे जुगनुओं की तरह..