तुम मेरे साथी
कहाँ तुम छूटते बादल
क्या ये सहज तुम हो
तुम स्नेह की खाड़ी हो
अनभिज्ञ तुमसे कहा रहे
तुम पावन सरिता
मुझे...
क्या ये सहज तुम हो
तुम स्नेह की खाड़ी हो
अनभिज्ञ तुमसे कहा रहे
तुम पावन सरिता
मुझे...