...

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आख़िरी मुलाक़ात
लबों पर खामोशी....आँखों से हुई थी अश्कों की बरसात,
गलतफहमियों के शोर तले में दब रहे थे सारे मेरे जज़्बात !!

शिकवे शिकायतों के बिच बिन कुछ कहे हो रही थी बात,
हाँ....याद है मुझे आज भी वो हमारी आख़िरी मुलाक़ात !!

फिर से एक बार यूँ अजनबी हुए जा रहे थे दो दिल उस दिन,
कितनी दर्दनाक थी तुम न जानो मेरे लिए जुदाई की वो रात !!

ना कोई उम्मीद ना ही कोई हसरत बची थी फ़िर दो दिलों में,
यूँ उलझ गई थी रिश्तें की डोर, न रहे थे पहले जैसे हालात !!

हाल न पूछा फ़िर कभी, मिली मुझे भीगे तकिये की सौगात,
आँखों में नींद नहीं, फ़क़त याद आती है वो आख़िरी मुलाक़ात !!
© Mayuri Shah
@Mayuri1609