बदलते रिश्ते,,बेजान अहसास,,
सुना है कि अब
वो आंखें पहले जैसी नहीं रहीं,
जिनमें कभी ख्वाब तैरते थे,
अब बस धुंधली परछाइयों का बसेरा है,,
सुना है कि अब,,
वो बारिश में भीगना पसंद नहीं करती,
जो कभी हर बूंद में अपना जहां ढूंढती थी,
अब सिर्फ छतरी के साये में चलती है,,
सुना है कि अब,,
वो खुद से बात नहीं करती,
जो हर शाम अपनी कहानियों में खो जाती थी,
अब सिर्फ खामोशी के साथ रहना पसंद करती है,,
आखिर गलती क्या थी उसकी?
शायद दिल की बातों को दिल में रखना,
हर जख्म को मुस्कान से छुपा जाना,
या फिर खुद से ज़्यादा दूसरों को समझना,,
क्यों किसी ने उससे नहीं समझा?
शायद उसने कभी कुछ कहा ही नहीं,
हर दर्द को मुस्कुराहट में छुपा लिया,
और खामोशी को अपनी आवाज़ बना लिया,,
क्यों कोई उसकी खामोशी को सुन न सका?
शायद वो चीखें इतनी धीमी थीं,
कि दुनिया...
वो आंखें पहले जैसी नहीं रहीं,
जिनमें कभी ख्वाब तैरते थे,
अब बस धुंधली परछाइयों का बसेरा है,,
सुना है कि अब,,
वो बारिश में भीगना पसंद नहीं करती,
जो कभी हर बूंद में अपना जहां ढूंढती थी,
अब सिर्फ छतरी के साये में चलती है,,
सुना है कि अब,,
वो खुद से बात नहीं करती,
जो हर शाम अपनी कहानियों में खो जाती थी,
अब सिर्फ खामोशी के साथ रहना पसंद करती है,,
आखिर गलती क्या थी उसकी?
शायद दिल की बातों को दिल में रखना,
हर जख्म को मुस्कान से छुपा जाना,
या फिर खुद से ज़्यादा दूसरों को समझना,,
क्यों किसी ने उससे नहीं समझा?
शायद उसने कभी कुछ कहा ही नहीं,
हर दर्द को मुस्कुराहट में छुपा लिया,
और खामोशी को अपनी आवाज़ बना लिया,,
क्यों कोई उसकी खामोशी को सुन न सका?
शायद वो चीखें इतनी धीमी थीं,
कि दुनिया...