तुम्हें सोचकर...…
तुम्हें सोचकर भी अब वो रश्क़ नहीं होता,
दर्द-ए-दिल नहीं, पलकों में अश्क़ नहीं होता।
ये वीरानियाँ भी रात की, पूछ लेती हैं अक्सर,
क्या हुआ तुझे...
दर्द-ए-दिल नहीं, पलकों में अश्क़ नहीं होता।
ये वीरानियाँ भी रात की, पूछ लेती हैं अक्सर,
क्या हुआ तुझे...