अर्धांगिनी...
दुपट्टा सजता रहा
मैं उसकी होती रहीं
प्रेम का रंग चढ़ता रहा
मैं उसके रंग में रंगतीं रहीं
हाथों में भाग्य की लकीरें
उसके नाम से सौभाग्य होती रहीं
आलता सजता रहा
उसके निशां में मैं चलती रहीं
नथ कसती रही
हर श्वास उससे...
मैं उसकी होती रहीं
प्रेम का रंग चढ़ता रहा
मैं उसके रंग में रंगतीं रहीं
हाथों में भाग्य की लकीरें
उसके नाम से सौभाग्य होती रहीं
आलता सजता रहा
उसके निशां में मैं चलती रहीं
नथ कसती रही
हर श्वास उससे...