एक तरफा मुहब्बत
जिसका होठों पर रहता है जिक्र,
उसको नहीं है मेरी फिक्र।
ये भी क्या मुहब्बत का बंधन,
कोई यार जब फिक्र ना करे।
हम क्यूँ किसी पर मरे,
लोग कर देते...
उसको नहीं है मेरी फिक्र।
ये भी क्या मुहब्बत का बंधन,
कोई यार जब फिक्र ना करे।
हम क्यूँ किसी पर मरे,
लोग कर देते...