...

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हो गए क्या?
खुद में तल्लीन हो गए क्या ?
ए दिल गमगीन हो गए क्या ?

चूम आए बदन ठंडी हवा के
तो ताजातरीन हो गए क्या ?

नज़र नही आते मौसम बहारा
खिज़ा के शौकीन हो गए क्या ?

मले थे धूप से जो चेहरे रात के
वो चेहरे नाज़नीन हो गए क्या ?

न हुए कदम बादलों के झंकारी
मखमल पे आसीन हो गए क्या ?

सोचा तुम्हे औ बहकने लगे हम
तुम इतने हसीन हो गए क्या ?

रखे थे अश्कों पे शकर के दाने
लब तेरे नमकीन हो गए क्या ?

© manish (मंज़र)