मेरा एकान्त
यों तो मैं अपनो संग रहता हूँ।
लगता है लॉगो को खूब मौज शोक मे रहता हूँ।
वैसे रहने को मेरे पास पक्का घर है।
आने जाने को दुक्का गाड़ी है।
अपने लॉगो से घिरा हूँ चारों तरफ।
फिर भी मैं अकेला हूँ हर तरफ।
भीड़ भाड़ से अचानक खो जाता हूँ यकायक।
मेरे अंदर अचानक एकांत की दुनिया आ बस्ती है।
जो मेरे चारों तरफ है वो बेगानों की बस्ती लगती है।
सोचता हूँ यहाँ बाहर कौन अपना है।
मेरे अपने तो मेरे एकांत मे है।
उस बाजार मे नज़र आती है मेरी...
लगता है लॉगो को खूब मौज शोक मे रहता हूँ।
वैसे रहने को मेरे पास पक्का घर है।
आने जाने को दुक्का गाड़ी है।
अपने लॉगो से घिरा हूँ चारों तरफ।
फिर भी मैं अकेला हूँ हर तरफ।
भीड़ भाड़ से अचानक खो जाता हूँ यकायक।
मेरे अंदर अचानक एकांत की दुनिया आ बस्ती है।
जो मेरे चारों तरफ है वो बेगानों की बस्ती लगती है।
सोचता हूँ यहाँ बाहर कौन अपना है।
मेरे अपने तो मेरे एकांत मे है।
उस बाजार मे नज़र आती है मेरी...