...

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नारी / नदी
बहुत सुंदर
बड़ा ही साम्य है, बहती नदी
और नारी जीवन में -
जैसे नदियाँ अपने प्रवाह में,
अच्छा बुरा जो भी मिला ,
समेटते सहेजते,
बेपरवाह मंजिल की ओर
अग्रसर रहती हैं,
वैसे ही तो मान अपमान,
घृणा प्रेम,
सहेज लेती हैं,
गहरे बहुत गहरे
अंर्तहृदय में ।
© Nand Gopal Agnihotri