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माँ की मोहब्बत
माँ की मोहब्बत के बारे में क्या कहूँ,
है उतने अल्फाज नहीं मेरे पास
जो बयां कर सके सही - सही
उसकी मोहब्बत की गहराइयों को।
सागर से भी गहरा ,ब्रह्मांड से विशाल
है जिसकी मोहब्बत
अनंत , अपरिमित , असीमित , अनश्वर।
मौसम बदल जाते हैं
वक्त बदल जाता है
हालात बदल जाती है
ये पूरी कायनात बदल जाती है
पर कभी जो बदलती नहीं
ऐसी है माँ की मोहब्बत ।
समाहित है जिसमें संगीत के सातों सुर ,
कोई मनोहारी कविता का हर एक भाव
जीवन का हर एक रंग - रुप ।
मिलते हैं जिनमें कुछ तत्व
प्रकृति की रचना के लिए
ममत्व , दया ,करूणा , समर्पण , त्याग
क्षमा , वेदना, रोष , हास्य , शोक , श्रृंगार
वो जो कारण है प्रकृति के होने का,
जो अहसास कराती है हमें
जीवन के हर जाने - अंजाने मोड़ पर
अपने निश्चछल मोहब्बत की पराकाष्ठा में
उसकी मनोरम सुंदरता खो जाने के लिए
प्रकृति की ही तरह
रहें जो हमेशा सबके लिए
अकल्पनीय, अद्वितीय और अद्भुत ।

— Arti Kumari Athghara (Moon) ✍✍

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