कैसे कह दूँ
कैसे कह दूँ उनसे सब मैं हृदय के शुद्ध विचार
जिस से अब तक नहीं मिले ,मेरे हृदय के बजते तार
कैसे लिख दूँ उनको मैं ये,स्नेह है मुझे अपार
जिस से अब तक नहीं बढ़े मेरे नैनों के रफ्तार,
कैसे कह दूँ उनको मैं ये,अब तुम्ही हो प्राणाधार,
जिस से अब तक नहीं खिले मेरे मन के पुष्प आधार।
© Swati(zindagi ki boond)
जिस से अब तक नहीं मिले ,मेरे हृदय के बजते तार
कैसे लिख दूँ उनको मैं ये,स्नेह है मुझे अपार
जिस से अब तक नहीं बढ़े मेरे नैनों के रफ्तार,
कैसे कह दूँ उनको मैं ये,अब तुम्ही हो प्राणाधार,
जिस से अब तक नहीं खिले मेरे मन के पुष्प आधार।
© Swati(zindagi ki boond)
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