इंसानियत
मेरी खामोशी मेरा सबर है
सोच जरा कितना मुझमे इंसानियत का बसर है
तुमको तो बस मेरे हस्ते हुए...
सोच जरा कितना मुझमे इंसानियत का बसर है
तुमको तो बस मेरे हस्ते हुए...