कश्मकश ज़िंदगी
#EmotionalDuality
ज़िंदगी थी कभी खुशगवार।
हंसता खेलता मेरा परिवार।
ऐसे थे हमारे द्वार ।।
एक ही कश्ती में थें सब सवार।
और एक ही थे पतवार।।
कोरोना के दौर में हाय !...
ज़िंदगी थी कभी खुशगवार।
हंसता खेलता मेरा परिवार।
ऐसे थे हमारे द्वार ।।
एक ही कश्ती में थें सब सवार।
और एक ही थे पतवार।।
कोरोना के दौर में हाय !...