मोहब्बत का शहर
#विश्व_कविता_दिवस
मोहब्बत के शहर का माह-ए-कमल,,,
जैसे किसी दिवाने शायर की गजल,,
जुही की बेले,,जुगनुओं की अठखेलियाँ,,
बनाने लगी,,,हुस्न औ इश्क का ताजमहल,,
हर शब यूंही रौशन होती है,,मेरी तन्हाईयां,,
आँखो में समंदर,,लबो पर सजते है कंवल,,
दानिस्ता ही हम,,उस बेवफा पर मरते हैं,,
अहल-ए-दिल बन गया है,,ख्वाबो का मक्तल,,
© kuhoo
मोहब्बत के शहर का माह-ए-कमल,,,
जैसे किसी दिवाने शायर की गजल,,
जुही की बेले,,जुगनुओं की अठखेलियाँ,,
बनाने लगी,,,हुस्न औ इश्क का ताजमहल,,
हर शब यूंही रौशन होती है,,मेरी तन्हाईयां,,
आँखो में समंदर,,लबो पर सजते है कंवल,,
दानिस्ता ही हम,,उस बेवफा पर मरते हैं,,
अहल-ए-दिल बन गया है,,ख्वाबो का मक्तल,,
© kuhoo