ऐ लफ्जों
ऐ लफ्जों ना रूठ जाया करो..
जहाँ रूठा है रूठ जानो दो
तुम तो मेरे अपने हो,मान जाया करो..
मेरे दर्द को आधार देने वाले
ऐ मेरे चरित्र को निखारने वाले
यूँ सितम ना ढाया करो..
तुम तो मेरे अपने हो मान जाया करो..
तुम जो रूठ गये तो कलम रूठ जायेगी
अंधे...
जहाँ रूठा है रूठ जानो दो
तुम तो मेरे अपने हो,मान जाया करो..
मेरे दर्द को आधार देने वाले
ऐ मेरे चरित्र को निखारने वाले
यूँ सितम ना ढाया करो..
तुम तो मेरे अपने हो मान जाया करो..
तुम जो रूठ गये तो कलम रूठ जायेगी
अंधे...