क्या तुमने कभी चाहा है?
मैं चाहता हुँ तेरे तन पे लगा
हर जख्म मेरी रूह
के आर पार चले,.
प्यार जब सर पे स्वार चले,
आँखे बंद होते ही ख्वाब मैं
तेरा ही दीदार चले,,
मैं क्यों मंज़िल ए राह पर अकेला चलूँ
साथ क्यों ना मेरा यार चले,
मैं चाहता हुँ...
हर जख्म मेरी रूह
के आर पार चले,.
प्यार जब सर पे स्वार चले,
आँखे बंद होते ही ख्वाब मैं
तेरा ही दीदार चले,,
मैं क्यों मंज़िल ए राह पर अकेला चलूँ
साथ क्यों ना मेरा यार चले,
मैं चाहता हुँ...