बिखर जाना अंत नहीं
#बिखर
निखर जाएगा समझौता कर ले,
बिखर जायेगा ना हठ कर बे;
शीशा कहा टिकता गिर कर रे,
स्वाभिमान कैसा तेरा रे,
भारत का मैं पुत्र हूँ, ऐ मानव !
कमजोर पर जिंदा हूँ ,ऐ कायर !
मृत्यु के सामने ठट कर खङा रहूंगा ।
दिन हो या रात ,
कोई हो या सिर्फ मैं हूँ खङा रहूंगा ,
है वो माता...
निखर जाएगा समझौता कर ले,
बिखर जायेगा ना हठ कर बे;
शीशा कहा टिकता गिर कर रे,
स्वाभिमान कैसा तेरा रे,
भारत का मैं पुत्र हूँ, ऐ मानव !
कमजोर पर जिंदा हूँ ,ऐ कायर !
मृत्यु के सामने ठट कर खङा रहूंगा ।
दिन हो या रात ,
कोई हो या सिर्फ मैं हूँ खङा रहूंगा ,
है वो माता...