मैं, शादी और सपने
मेरे दिल में कुछ तस्वीरें हैं,
कुछ रौशनी सी चमकती,
जैसे अभी ही बीता हो पल,
माँ पिताजी के प्यार की और भाई से तकरार की.
जैसे अभी ही हुई हो विदाई,
वो आखों में सपनों की चमक ,
और हो गई मैं अपनों से पराई.
दो घर हैं पर हक शायद अब कहीं नहीं,
मैं तो वही हूँ पर पहले जैसी रही नहीं.
अपने तो सभी...
कुछ रौशनी सी चमकती,
जैसे अभी ही बीता हो पल,
माँ पिताजी के प्यार की और भाई से तकरार की.
जैसे अभी ही हुई हो विदाई,
वो आखों में सपनों की चमक ,
और हो गई मैं अपनों से पराई.
दो घर हैं पर हक शायद अब कहीं नहीं,
मैं तो वही हूँ पर पहले जैसी रही नहीं.
अपने तो सभी...