दोगले लोग.....
इस खुबसूरत , रंग - बिरंगी दुनिया में बस दोगले लोगों की ही भरमार है,
जो अपनी ईर्ष्या की तपिश से उजाड़ देते किसी का बसा - बसाया संसार है।
आस्तीन के सांप की तरह वो हमेशा हमारे साथ ही विचरते रहते हैं ,
वो अपने मुख में राम बगल में छूरी रख पीठ पर हमेशा वार करते रहते हैं।
अपनी मीठी - मीठी बातों से अक्सर वो हमें अपने झांसे में फंसाते हैं
सामने गुणगान करके पीठ पीछे हमारे प्रति सबके मन में नफरत भरते है
वो एक जिगरी शुभचिंतक दोस्त की तरह सुख में हमेशा साथ हमें देते हैं
और बुरे वक्त में गिरगिट की तरह हमेशा वो अपना रंग बदल लेते हैं ।
इस खुबसूरत , रंग - बिरंगी दुनिया में बस दोगले लोगों की ही भरमार है,
जो अपनी ईर्ष्या की तपिश से उजाड़ देते किसी का बसा - बसाया संसार है।
— Arti Kumari Athghara (Moon) ✍✍
© All Rights Reserved
जो अपनी ईर्ष्या की तपिश से उजाड़ देते किसी का बसा - बसाया संसार है।
आस्तीन के सांप की तरह वो हमेशा हमारे साथ ही विचरते रहते हैं ,
वो अपने मुख में राम बगल में छूरी रख पीठ पर हमेशा वार करते रहते हैं।
अपनी मीठी - मीठी बातों से अक्सर वो हमें अपने झांसे में फंसाते हैं
सामने गुणगान करके पीठ पीछे हमारे प्रति सबके मन में नफरत भरते है
वो एक जिगरी शुभचिंतक दोस्त की तरह सुख में हमेशा साथ हमें देते हैं
और बुरे वक्त में गिरगिट की तरह हमेशा वो अपना रंग बदल लेते हैं ।
इस खुबसूरत , रंग - बिरंगी दुनिया में बस दोगले लोगों की ही भरमार है,
जो अपनी ईर्ष्या की तपिश से उजाड़ देते किसी का बसा - बसाया संसार है।
— Arti Kumari Athghara (Moon) ✍✍
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