हकदार नही है..
नसीब में उसके, किसी का प्यार नही है,
क्या वो किसी खुशी का हकदार नहीं है.
तन्हा अकेला जीए जा रहा है दुनिया में,
साथ उसके कोई साथी रिश्तेदार नही है.
दर्द की खीजा खा गई उसकी जीस्त को,
उसकी तो जिंदगी मे, अब बहार नही है.
जो भी मिला अपने ही मतलब से मिला,
उसका साथ देने को कोई तैयार नहीं है.
जिंदगी ने, अनगिनत ज़ख्म दिए है उसे,
इस जिंदगी का वो अब तलबगार नही है.
जो भी था सारा ही चुका दिया है उसने,
अब किसी का उस पे कुछ उधार नहीं है.
मानसी की कलम✍️
क्या वो किसी खुशी का हकदार नहीं है.
तन्हा अकेला जीए जा रहा है दुनिया में,
साथ उसके कोई साथी रिश्तेदार नही है.
दर्द की खीजा खा गई उसकी जीस्त को,
उसकी तो जिंदगी मे, अब बहार नही है.
जो भी मिला अपने ही मतलब से मिला,
उसका साथ देने को कोई तैयार नहीं है.
जिंदगी ने, अनगिनत ज़ख्म दिए है उसे,
इस जिंदगी का वो अब तलबगार नही है.
जो भी था सारा ही चुका दिया है उसने,
अब किसी का उस पे कुछ उधार नहीं है.
मानसी की कलम✍️