...

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ख़ुद को ख़ुद से रूबरू कराते रहना
राहों में परेशानियां है तो क्या हुआ
उन्हीं राहों में मंज़िल की निशानियां भी तो है।
माना होंगी कुछ रिश्तों में दरार
लेकिन कुछ ऐसे भी तो होंगे जिनको होगा सिर्फ आपसे प्यार।
हो सकता है अभी आपका सूर्य अस्त हो
लेकिन कहीं न कहीं वो चांद भी तो आपकी खिदमत में मस्त होगा।
शायद ये वक़्त आपका ना हो
लेकिन कुछ हसीन लम्हों पर तो आपका हक़ जरूर होगा।
माना कि हकीक़त में शायद कुछ धुआं- धुआं सा हो
लेकिन ख़्वाबों में तो कम से कम सब कुछ खुशनुमा होगा।
हो सकता है कि अभी सारा ज़माना तुम्हारा ना हो
लेकिन तुम्हारे हिस्से की ज़मीं और आसमां तो हमेशा तुम्हरा ही होगा।
बस तुम्हें क़दमों को ख़ुद की सोच से आगे रखना होगा
ख़ुद को ख़ुद से रूबरू कराते रहना होगा।