क्या वह समय था .....
क्या वह समय था जब हम सब साथ में रहते थे
जब सुबह सबेरे बाबा उठ गाय को चारा देते थे
दादी संग बैठ रसोई में गुड़ और कतली खातेथे
एक साइकिल के पहिए के पीछे
दौड़ लगा हम दोपहर पूरी बिताते थे
और होते ही शाम घरों की छत पे
झट पट चढ़ जाते थे
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जब सुबह सबेरे बाबा उठ गाय को चारा देते थे
दादी संग बैठ रसोई में गुड़ और कतली खातेथे
एक साइकिल के पहिए के पीछे
दौड़ लगा हम दोपहर पूरी बिताते थे
और होते ही शाम घरों की छत पे
झट पट चढ़ जाते थे
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