...

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फ़रियाद
अब के आओ तो मेरे रंग में ढलना होगा
मेरी ग़ज़लों की नुमाइश पे बहलना होगा
या'नी बिन सोचे किसी राह पे चलना होगा
या के जिस तर्ह में चाहूँगा बदलना होगा
मानता हूँ की तुम्हें कर चुका हूँ मैं आजाद
हर हसीं लम्स को हम-रक़्स किया है बर्बाद
हाँ मगर एक सहूलत तो अता हो मुझ पर
गर कोई मेरा भी अहसान बचा हो तुझ पर
अब न ये दिल तेरी रहमत से...