...

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कर्मठ चिड़ी
नाज़ुक पंख
चीरती आसमान
ऊंँची उड़ान।

आया तूफान
घबराया घास का
नन्हा मकान।

कर्मठ चिड़ी
बटोरे चुग्गा पानी
नन्हीं सी चोंच।

बाट निहारें
घोंसले में परिंदे
मांँ तुम कहांँ?

लाड लड़ाती
हिम्मत का पाठ भी
मांँ ही सिखाती।
© Poonam Saini