...

23 views

एकाकी
जब कभी भी मैं खुद को
एकाकी पाता हूं
सुनता हूं प्रकृति की सरसराहटे
कुछ खुद से ही गुनगुनाता हूं
जब कभी भी मैं खुद को
एकाकी पाता हूं ....

जिस ओर राह चल पड़े
उस ओर निकल जाता हूं
मंजिल की ओर दौड़ते झुंड
को देखता हूं
पर मैं मंजिल को भुला
राहों को ही अपनाता हूं
जब कभी भी मैं खुद को...

एक...