...

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सपने से सच तक
काश तेरा चले जाना
एक सपना हो मैं उठूं तो टूट जाए
तेरे मेरे बीच सच और सपने की
जो दूरी है मिट जाए
पर ये बस काश.........
आखिरी लफ्ज़ है जहाँ तलक
इंसान की रूह जाए
ये लफ्ज़ जोड़ कर रखता है
सच और सपने को वरना
कभी सपना तो सच हो भी
पर सच सपना नही बन पाए

अब तक बहुत थे अब बस एक
काश के तू मिल जाए
वो बात और है कि किसी के सपने सच
सच हुए
पर कोई ऐसा नहीं है जो
बिना काश के इस जहाँ से जाए


© light of sun