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ग़ज़ल
जिन्हें जो कहना है, कहते रहेंगे।
हम अपनी राह पर चलते रहेंगे।
तू अपनी राह पर बस ध्यान रखना,
शरीक़ ए राह तो मिलते रहेंगे।
रहेगी फ़िक्र ग़र बस हमसफ़र की,
मज़े फ़िर सफ़र के कैसे मिलेंगे।
ज़मीं पर पायेंगे ग़र आब ओ दाना,
परिंदे गगन में कैसे उड़ेंगे।
शजर है तू तो फ़िर हैरान क्यों है,
ये पीले पात तो झड़ते रहेंगे।
© इन्दु
हम अपनी राह पर चलते रहेंगे।
तू अपनी राह पर बस ध्यान रखना,
शरीक़ ए राह तो मिलते रहेंगे।
रहेगी फ़िक्र ग़र बस हमसफ़र की,
मज़े फ़िर सफ़र के कैसे मिलेंगे।
ज़मीं पर पायेंगे ग़र आब ओ दाना,
परिंदे गगन में कैसे उड़ेंगे।
शजर है तू तो फ़िर हैरान क्यों है,
ये पीले पात तो झड़ते रहेंगे।
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