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जिंदगी बीत जाती है अपनों को अपना बनाने में।
जरा सी बात पर ना छोड़ किसी अपने का दामन,

जिंदगी बीत जाती है अपनों को अपना बनाने में।

रिश्ते मौके के नहीं,

भरोसे के मोहताज होते हैं।

रूठे रिश्ते और नाराज लोग सबूत हैं इस बात का,

कि जज्बात अब भी जुड़े रहने की ख्वाहिश रखते हैं।

बाकी की चार उंगलियां ईर्ष्या से जलती हैं,

जब मेरी लाडली मेरी एक उंगली पड़कर चलती है।

जरूरी नहीं की हर रिश्ते का अंत लड़ाई ही हो,

कुछ रिश्ते किसी की खुशी के लिए भी छोड़ने पड़ते हैं।

कुछ रिश्ते होते हैं जिन्हें कोई नाम देना मुमकिन नहीं होता,

फिर भी आपस में जाने किस डोर से बंधे होते हैं।

जरूरी नहीं कि सारे सबक किताबों से ही सीखें,

कुछ सबक जिंदगी और रिश्ते सिखा देते हैं।

इतनी अनमोल होते हैं अपनों के रिश्ते,

कोई याद ना करें तो भी इंतजार रहता है।

रिश्तो को कभी धोखा मत दीजिए,

पसंद ना आए तो उसे पूर्ण विराम कर दीजिए।

खुशी देने वाले अपनी ही होते हैं,

लेकिन गम देने वाले भी अजनबी नहीं होते।

अक्सर राहों में मुसाफिरों से साथ छूट जाया करते हैं,

साथ वही निभा पाते हैं जो रिश्तो को समझ पाते हैं।

इतिहास गवाह है इस बात का कि,

खबर और कबर खोदते अपने ही है।

जब रिश्तो में झूठ बोलने की आवश्यकता पड़ने लगी,

तब समझ लेना कि रिश्ता अब समाप्ति की ओर है।

अपनापन तो हर कोई दिखाता है,

पर कौन अपना है यह तो होते ही बताता है।

यह सच है कि अपनों के साथ वक्त का पता नहीं चलता,

पर यह भी सच है कि वक्त के साथ अपनों का भी पता नहीं चलता।

रिश्ते खून के नहीं होते,

सिर्फ दर्द के होते हैं।

By- Rob Magdey
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