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जिंदगी बीत जाती है अपनों को अपना बनाने में।
जरा सी बात पर ना छोड़ किसी अपने का दामन,

जिंदगी बीत जाती है अपनों को अपना बनाने में।

रिश्ते मौके के नहीं,

भरोसे के मोहताज होते हैं।

रूठे रिश्ते और नाराज लोग सबूत हैं इस बात का,

कि जज्बात अब भी जुड़े रहने की ख्वाहिश रखते हैं।

बाकी की चार उंगलियां ईर्ष्या से जलती हैं,

जब मेरी लाडली मेरी एक उंगली पड़कर चलती है।

जरूरी नहीं की हर रिश्ते का अंत लड़ाई ही हो,

कुछ रिश्ते किसी की खुशी के लिए भी छोड़ने पड़ते हैं।

कुछ रिश्ते होते हैं जिन्हें कोई नाम देना मुमकिन नहीं होता,

फिर भी आपस में जाने किस डोर से बंधे होते हैं।
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