पेड़ों से पूछा...
कभी न थकान,
न कभी कोई बहाना।
पेड़ों से जब पूछा,
" जीने का रहस्य",
उन्होंने बेझिझक कहा,
"जीने के लिए
नहीं चलेगा कोई बहाना।
आखिर तू क्यों फँसता है,
आलसी बनकर ख्यालों में?
ज़िन्दा जब तक है,
तुझे बढ़ना है हकीकत में।"
मैंने...
न कभी कोई बहाना।
पेड़ों से जब पूछा,
" जीने का रहस्य",
उन्होंने बेझिझक कहा,
"जीने के लिए
नहीं चलेगा कोई बहाना।
आखिर तू क्यों फँसता है,
आलसी बनकर ख्यालों में?
ज़िन्दा जब तक है,
तुझे बढ़ना है हकीकत में।"
मैंने...