यायावरी
#WritcoPoemPrompt22
निस्सीम रेत के टीलों मे
लडखता गिरता , चलता रहा
अनजान यात्रा पर , लक्ष्यहीन
भूख, प्यास , गर्म रेत मे जलता रहा
संगी, साथी कोई नहीं
जाने क्यों था वह अकेला
रेत रेत चारों ओर
जाने कहां छूटा इंसानों का मेला
बेचैन सा क्यों है
है उसे किसकी तलाश
उसकी यायावरी
है जैसे कोई जिन्दा लाश
© उत्तराखंडी Kamlesh Kandpal
निस्सीम रेत के टीलों मे
लडखता गिरता , चलता रहा
अनजान यात्रा पर , लक्ष्यहीन
भूख, प्यास , गर्म रेत मे जलता रहा
संगी, साथी कोई नहीं
जाने क्यों था वह अकेला
रेत रेत चारों ओर
जाने कहां छूटा इंसानों का मेला
बेचैन सा क्यों है
है उसे किसकी तलाश
उसकी यायावरी
है जैसे कोई जिन्दा लाश
© उत्तराखंडी Kamlesh Kandpal