...

9 views

"जी हो चला है"
न जाने क्यूँ आज वातावरण में एक अलग सा सुकून है,
आकाश में भी आज एक अलग से तार छिड़े हुए हैं,
मिट्टी की सोंधी सी ये खुशबू और नाचते- गुनगुनाते पंछियों ने आज जिंदगी को एक नया रुख दिया है।

मन ठहरे हुए पानी कि तरह ठहरा हुआ है और आगे बढ़ने के लिए अपने साथी का इंतज़ार कर रहा है,
हवाओं कि दिशाओं के माध्यम से आज आगे चलने का जी हो...