मेरी क्या औकात है
समंदर के इस पार मैं खड़ा अकेला,
उस पार सारी दुनिया साथ है,
सुबह की अब उम्मीद टूट रही है,
बहुत ही लंबी और काली रात है,
आखिर मेरी क्या औकात है!
हर बार गलती मुझसे होती है,
मुझसे ही हर दर्द की शुरुआत है,
ये महज़ एक इत्तिफाक़ तो नहीं,...
उस पार सारी दुनिया साथ है,
सुबह की अब उम्मीद टूट रही है,
बहुत ही लंबी और काली रात है,
आखिर मेरी क्या औकात है!
हर बार गलती मुझसे होती है,
मुझसे ही हर दर्द की शुरुआत है,
ये महज़ एक इत्तिफाक़ तो नहीं,...