जीवन धारा
बहुत गहरी नदिया है ये जीवन की धारा
खर पतवार मिले तब कश्ती को पुकारा
सफर अधूरा तय हुआ ना मिला किनारा
मिलते बिछड़ते लोग मन भरम का मारा
रिश्ते बनते बिगड़ते सुख दुःख का सहारा
कर्मफल भोग भोगने में ये जीवन गुजारा
नेक कमाई ईश्वर भरोसे चले चक़ बेचारा
काल गति सोह मति संग करो भव पारा
© mast.fakir chal akela
खर पतवार मिले तब कश्ती को पुकारा
सफर अधूरा तय हुआ ना मिला किनारा
मिलते बिछड़ते लोग मन भरम का मारा
रिश्ते बनते बिगड़ते सुख दुःख का सहारा
कर्मफल भोग भोगने में ये जीवन गुजारा
नेक कमाई ईश्वर भरोसे चले चक़ बेचारा
काल गति सोह मति संग करो भव पारा
© mast.fakir chal akela