...

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फिर हूआ यूँ की "
फिर हुँआ यूँ की _
कुछ ही दिनों में, वोह मेरा नाम बन गया।
हर कोई नज़रो मे,उसके सिवा आम बन गया।
खाली सारा दिन उसके बिना,वोह ही मेरा काम बन गया।
फीके पड़ गये रिश्ते सारे,वोह ही मेरा जहाँन बन गया।
मूर्ख किसी पागल सा मै, वोह सम्पूर्ण ज्ञान बन गया।
अब मेरे नाम से पहले...