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सताया नहीं मैने
फुरसत में हो पूछने वाला तो बात अलग है
कभी चलते को हाल बताया नहीं मैने!
अपना बनके तो चाहे रूह भी टटोल लेना
किसी अजनबी को कुछ दिखाया नहीं मैने!
राह में बैठा हो कोई तो किनारे से गुजरा मैं
कभी किसी बैठे को उठाया नहीं मैने!
खुद को दिन में हज़ार मर्तबा कोसा चाहे
कभी किसी दूसरे को सताया नहीं मैने!
©शिवांश
© ‘शिवांश’
कभी चलते को हाल बताया नहीं मैने!
अपना बनके तो चाहे रूह भी टटोल लेना
किसी अजनबी को कुछ दिखाया नहीं मैने!
राह में बैठा हो कोई तो किनारे से गुजरा मैं
कभी किसी बैठे को उठाया नहीं मैने!
खुद को दिन में हज़ार मर्तबा कोसा चाहे
कभी किसी दूसरे को सताया नहीं मैने!
©शिवांश
© ‘शिवांश’
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