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श्यामपट्ट A, Black- Board
" श्याम तेरी बंसी सूना है बाजे, चारों- धाम!
मगर मोहब्बत के श्यामपट्ट पर लिखा है -
जाने क्यों किसी मीरा और किसी फ़किरा
कोई राधा का नाम?
K शिष्य कर रहे हैं कुछ सीनाजोरी
फिर भी; न जाने क्यों उस लीलाधर ने -
अब किसी रुपमणी महारानी का नाम सुना है
जो तराजू राधा के सिवा न दुजा कोई दिल ऐ रिश्ता
उस लीलाधर को और कुछ समझ में न आया फ़रिश्ता
कहानी कोई होनी की थी जहां वह सब कुछ भी मुकद्दर
जो होनी था उसे खुद जो होने देना चाहता था फ़किरा
खेल वो सारे खुद वह जो था खुद कोई अवतारी कलाकार
जिसका कोई फ़किरा एक सुदामा जैसा कोई फ़किर मित्र था
मामा जहां कोई महाराजा कंश जैसे भी होते थे जो फ़किरा
खुद रिश्ते में अपनी ही बहन का कोई भाई लगता था
रक्षा बंधन की जैसे वह सारी सीमाओं को अब लांघा चुका था
तब पढ़ के खिलाफ कोई काफ़िर ; षरियंत्र तंत्र मंत्र से जो था
बेखबर वह नास्तिक; सिर्फ फिर कोई वहां सीता ही अकेली
इस कलयुग के काले कटघरे रंगमंच पर वहां न थी फ़किरा
के यह बात अब समझ में आई सत्यम शिवम सुंदरम के राज़























To be continue


© F#@KiRa BaBA