...

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पता नहीं क्यों?
पता नहीं क्यों,

तुम्हारी याद आते ही,
दिल में एक मीठा-सा,
दर्द उठता है,

पता नहीं क्यों,

उठता है ये मीठा दर्द,
रोम-रोम में तुम्हारी,
झलक नज़र आती है,

पता नहीं क्यों,

बिन तुम्हारे दीदार,
किये आँख नहीं भाँति है,

पता नहीं क्यों,

पालकों ने आँखों का,
साथ देना बंद कर दिया,
जहाँ देखो वहाँ तुम्हारी,
तस्वीर नज़र आती हैं,

पता नहीं क्यों,

साँसों ने भी कह दिया है,
बिन तेरे एहसास के में,
एक लम्हें में रूक जाऊँगी,

पता नहीं क्यों,

पवन भी तेरे नगमें बिन,
मुझे सूरज की तपन,
बन कर लिपट जाती हैं,



© Fight With God